Saturday, November 19, 2011

Jindegi ek paheli

काश कोई होता जो हमको हमेशे भी जयादा  समझ पाता
दिल का हर अरमान बिन कहे समझ पाता,तो जिन्दगी यू बेजान ना होती
क्यों दुनिया के इस भीड़ में भी लोग अनजान रह जाते है
और कुछ चाहकर भी कुछ नहीं कह पाते है
कितनी  अजीब है ये दुनिया कहने को तो सब है
पर जब नजदीक जा कर देखा तो सब कुछ होकर भी कुछ नहीं लोगो के पास
शिवाय दर्द और आशु के
जिन्दगी एक पहेली है ,आज तक कोई नहीं समझ पाया है इसे
बस इतना ही पता है जीना है इसे,छे गम हो या ख़ुशी !!!!!!!!!






1 comment :

  1. सुन्दर स्रजन, ख़ूबसूरत भाव, शुभकामनाएं .

    मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें , आभारी होऊँगा.

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